Wednesday, August 10, 2011

एक दोस्त की कहानी मेरी ज़ुबानी


छक्को-पंथी

“Drop me at the Metro Station. Main yahan se chali jaungi!” 

कुछ ऐसा  ही  statement था  उसका  जब  मैं  शाम  ढलने  पर  उसे  घर  drop करने  जा  रहा  था. हमने  पूरा  दिन  साथ  बिताया  था. हांलांकि  वो  एक weekday था, पर मौसम  बहुत  अच्छा  था और  उसने  मुझे  surprise देने  के   लिए  अपने  ऑफिस  से “ख़ास  मेरे  लिए  ” ऑफ  लिया  था. आसमान  बादलों  से घिरा  था और ठंडी  हवाएं  बह  रही  थी . वैसे  भी  2010 का  monsoon season कई  love-birds के liye surprise-halt था. Movie...lunch...romantic chats...window shopping...& bike ride! It was 6 PM now and she turned in to Cinderella to rush back to her home. “   Plz समझा  करो , मुझे  घर जाना  है ... Late हो  रहा  है. फिर  मिलूंगी  न  जल्दी ! पक्का  प्रोमिस !” and all stuff. 
Till the time we reached Vaishali Market (Ghaziabad), it started raining heavily. And we both were drenched in the rain! कोई  shade ढूंढना  और कहीं  रुकना  was not a solution then. I suggested, “   Let’s do one thing, मेरे घर चलो . वहां  change कर  लेना . मेरे  कपडे  अगर  loose भी  हुए  तो   मेरे  भाई  के पहन लेना. और  बारिश  रुकने  पर मैं तुमहे  drop कर दूंगा .” But I got a quick reply – “ अच्छा !! और मैं घर पर  क्या  कहूँगी ? ऑफिस  गयी  थी, तो ये  किसके  कपडे pehen के आई  हूँ ?? पागल !” 
अब  सीधे  drive करने के सिवाय और कोई  रास्ता  नहीं  था. We were at Anand Vihar now, which is Delhi-UP border. Drop me at the Metro Station. Main yahan se chali jaungi!”  अब  आप  समझे–येstatement प्यार  से नहीं, बल्कि  गुस्से  और irritation में  आया  था. पर  मैंने अनसुना  कर दिया . मैं  नहीं चाहता  था की वो पूरी  भीगी  हुई  तमाम  लोगों  के सामने  मेट्रो  में जाए  और लोग  उसे  घूर  – घूर के देखें . आखिर  boyfriend हूँ, possessive होना  तो बनता  है ना? मैंने  जिद्द  की, के घर के पास drop कर दूंगा. बेहेस शुरू  हो चुकी थी. 
हम  Patparganj तक  ही  पहुँच  पाए  थे  की  बारिश  और  तेज़  हो  गयी . आगे  कई  kilometres लम्बा  traffic   jam, रोड  पर  2 ft. ऊपर  तक भरा  हुआ  पानी  और उसपे  मूसलाधार  बारिश. और  जैसा  की होना  था , ठंडे  मौसम  में  भी  madam के  दिमाग  का  पारा  हाई  हो चुक्का  था. गुस्सा  उबलता  नज़र  आ  रहा  था. भरी  रोड पर, सैकड़ों  लोगों  के बीच  मुझे  डांट  पड़ना  शुरू हो चुकी थी . “समझ  में  नहीं  आती  बात  एक  बार  में!! मैंने  कहा  था  मुझे मेट्रो  स्टेशन  पे  ड्रॉप  कर  दो . पर  इन्हें  हीरो  बनने  की पड़ी  है . बस  अपनी  ही चलानी  होती  है. दूसरे  की प्रॉब्लम  नज़र नहीं आती! Blah blah blah!!” 
   Just imagine, क्या  scene था – आसमान  से  बारिश, मेरे  दोनों  पैर पानी में डूबे , शरीर  में भयंकर  ठण्ड  लगना शुरू और उसपे madam का आग -बबूला  होना! आस -पास  वाले  कई लोगों की  bike   के engines जवाब  दे  चुके  थे. Thank God, मेरी  Pulsar ने  उस  दिन  धोखा  नहीं दिया !! टाइम  करीब  7:30 pm हो chukka tha. उस  गुस्से  से madam के पिता  श्री  भी नहीं बच  पाए. गलत  टाइम  पे फ़ोन कर बैठे . बडे  प्यार  से बोले , “बेटा  जी , कहाँ  हो? मौसम  बड़ा  ख़राब  है. आपको  लेने  आयें ? ” पहले  तो  मैडम  जी ने भी प्यार से बहाना  मारा  के किसी  press conference में गयी थी, बारिश  और traffic jam में फंस  गयी हूँ . निकल  के फ़ोन करती  हूँ. पर जब  पिता जी को  साफ़  साफ़ सुनाई  नहीं दिया और उन्होंने  2-3 बार अपना  सवाल  दोहराया  तो वो  भी उस गुस्से का शिकार हो गए .
        रास्ता  थोडा  खुलते  ही मैंने  मेन  रोड की बजाय  पतली  पतली गलियों  से bike निकालना  उचित  समझा   और मैडम को Kashmere Gate Metro Station ड्रॉप करने  का फैसला  किया . पूरे  रास्ते  उन्हें  मनाता  रहा – “             Betu , आपसे  प्यार करता  हूँ इसीलिए  ख़राब  मौसम में अकेले नहीं भेजना  चाहता  था. Nona, please समझा  करो . मेरी  वजह  से late हो गयी. माफ़   कर दो न  please!   ” पर पलट  के गुस्सा  ही मिला  – “क्या  प्यार प्यार. कुछ  प्यार व्यार  नहीं होता . जब  भी तुम  अपनी तरह  से drop करने की  कोशिश  करते  हो, हमेशा  कुछ  न कुछ गड़बड़  होती ही है. पता  नहीं कहाँ fans गयी मैं तो!
 Patparganj की उस बारिश और रोड पर water-logging की problem ने Preet Vihar, Laxmi Nagar, ITO Bridge और Rajghat तक हमारा   पीछा  नहीं छोड़ा . पूरे रास्ते हम  भीगते  रहे . और ज्यादा  देर  पैर पानी में रहने  की वजह से मुझे ठण्ड लगना शुरू हो चुकी थी. Body pain भी हो चला  था. जैसे  तैसे  9:30 PM पर मैंने अपनी NONA को Kashmere Gate drop किया. गुस्से  में थी. मैंने  सिर्फ इतना  कहा की, “Nona, I am sorry but I love you!       ” बस, गुस्सा गायब . एक  मुस्कराहट  आई  चेहेरे  पर और एक अजीब  सा  नया  शब्द  निकला  उसके  मुंह  से – “छक्को -पंथी          ”(छक्के  यानी  किन्नर  द्वारा  की जाने  वाली  नौटंकी ...he he he). हाँ , ये  comment मेरी इस  हरकत  पर ही  था पर अब  नाराजगी  नहीं  थी. 10 PM तक वो अपने  घर  पर थी. हमने  रात  में काफी  देर तक फ़ोन पर बात की. उसने  admit किया की tensed होने  के बावजूद  उसने    उस बारिश  को काफी एन्जॉय  किया. आज  भी वो दिन याद  करके  बहुत  हंसती  है. दोबारा  वैसी  ही बारिश में भीगना  भी चाहती  है. पर...अब मैं उसे  Metro Station ही drop करता हूँ! मैं  वोह  छक्को-पंथी  दोबारा  नहीं करना  चाहता! हहहह्हहाह :) :) 







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